Monday, October 30, 2017

जातिवादी धर्म त्याग दो

।।। जातिवादी धर्म त्याग दो।।।

हिन्दू कैसे हो सकते हो तुम
तुमको हिन्दू कौन मानता है
तुम तो अछूत हो
क्योंकि तुम हिन्दू नहीं हो
तुम चमार(दलित)भी तो
नहीं हो सकते
तुम बस भारतवासी हो
तुम्हारा सर्वस्व लूट चुका है
तुम जो हो नहीं वही होकर रह गये हो
तुम हो तो भारत की रीढ़ हो
भारत तुम्हारे पुरखों के
लहू पसीने से सींचा है
तभी तो था यह देश सोने की चिड़िया
आज भी तुम देश की आधार शिला हो
हाँ आज तुम हाशिये पर हो
तुम्हारे पूर्वजों को कहा जाता है राक्षस
तुम भी ताली पिट पिट कर 
गाली देने लगते हो
एक युग था  तुम्हांरे पूर्वज ही थे
भारत भूमि के नरेश
यूरेशियन विदेशियों ने किया धोखा
उनके साथ
आज भी हो रहा तुम्हारे साथ
तुम हो कि आरक्षण आरक्षण खेल रहे हो
तुम्हें तो चाहिये बराबर कि हिस्सेदारी
तुम नहीं दिखा रहे समझदारी
तुम अपने ही पूर्वजों के कातिलों को
पूज रहे हो भगवान मानकर
शौक से भज रहे हो शुद्र ढ़ोल गंवार पशु नारी
ये ताड़न के अधिकारी
अछूत का कील ठोंके है जो
तुम्हारी नसीब में
उन्हीं पर अपनी कमाई स्वाहा कर रहे हो
थोपे जातिवाद, रस्म रिवाज ढो रहे हो
ये 21वीं सदी में भ्रष्टमति नहीं तो और क्या है
अपने पूर्वजों के कत्ल का जश्न मना रहे हो
आरक्षण आरक्षण का खेल खेल रहे हो
सम्पूर्ण हक का नहीं मचा रहे शोर
दलित बने हुए हो
हिन्दू होने का भ्रम ढो रहे हो
दलितों यानि चमारो ग्यारह सौ खण्ड में खंडित 
कब तक रहोगे
अब तो एकता दिखाओ एक हो जाओ
जातिवाद का ज़हर कब तक औऱ क्यूँ
दलितों अब तो जाग जाओ
जातिवादी धर्म को त्याग दो
अत्त दीपो भवः को स्वीकार लो
लूटा हक हिस्सा और अधिकार माँग लो ।।।।।
डॉ नन्दलाल भारती
20/06/2017

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