हमारे पास जो कुछ है
श्रम से उपजी हुई अमानत है
पुरखों ने यही किया था
हम भी वही कर रहै हैं
करने की प्रक्रिया जो
युगों से चली आ रही है
हमें यह भी पता है,
हमारे श्रम के रंग से
सुशोभित कैनवास
जो हमारा मान स्वमान
और पहचान है
एक दिन हमारा अपना नहीं होगा
हो जायेगे हमारे अपनों के कब्जे
गूँजेगी शहनाईयां, गूँजेगी किलकारियां
होगा नवसृजन, हमारा लहू होगा कुसुमित
जैसे हमारे पुरखों का हो रहा हैं
हमारी नसों में
यही है जीवन का उद्देश्य
सच आशा ही तो जीवन है
इसी आशा में जी रहे है
हम सभी
फिर क्यों रार तकरार
जातिवाद, धर्मवाद
और वैमनस्यता ?
सब कुछ नश्वर भी तो है
आओ बढ़ा दे हाथ
जरूरतमंद के लिए
पोंछ दे इंसान के आंसू
हम सभी।।।।।।।।।।।।
डॉ नन्दलाल भारती
09/05/2017
श्रम से कमाया हुआ धन हमेशा फलीभूत होता है, और यही जीवाम को सार्थक और सुगम बनता है | चल और कपट से कमाई हुई दोलत कभी भी फलीभूत नहीं होती है | Talented India News
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