Saturday, July 5, 2014

रंग बदलते आदमी ने

रंग बदलते  आदमी ने 
वक्त का रंग बदल दिया ,
भगवान गॉड या
कहे खुदा की खैर 
बची है ज़िन्दगी 
नरपिशाचो के बुने   जाल 
जातिवाद महंगाई,भष्ट्राचार से 
सहमी सहमी सी
बित रही है ज़िंदगी। …। 
 डॉ नन्द लाल भारती 04.07.2014   

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