Friday, March 14, 2014

घर बगिया /कविता

घर बगिया /कविता
अपनी नन्ही घर बगिया अपने रंग अघाई ,
मिट्ठू,बुलबुल चिरैया अनेक
 अपने रंग में रंगे .
गा रहे गीत हिल मिल जैसे होली आयी।
घर अंगना हरियाली का ,
जिम्मा थामे पौधे के माथे
लाल नीले पीले बैगनी फूल काया  मटकाये
मौज में डूबे अपने गा रहे
हिल मिल जैसे होली आयी।
गुलाब, गुडहल बोगन बेलिया और
 लताओ का निखरा यौवन
बालाओ को अब खूब सुहाये
धुधली निगाहें रोशन चिराग है पाये
बुलबुल पूँछ हिलाए
रंग बिरंगी गौरैया
हिल मिल जैसे होली आयी
नीम अशोक जाम अनार,
घर बगिया के गमले में थमा जंगल
नए यौवन में मुस्काये
रंग-बिरंगी आभा में डूबे मकरंद उड़ा-उड़ा
लेते  अंगड़ाई ,
मा नो रंग गुलाल माथे लगा कह रहे हो
अनेक  एक हो
नफ़रत छोडो सब आपस में भाई
लग रहा जैसे यही कह,
आपस में बाँट रहे बधाई
अपनी जहां वालो समता के रंग उड़ाओ
गुलाल लगाओ होली आयी। .........................
डॉ नन्द लाल भारती 15  .03 2014

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