Sunday, May 26, 2013

क्रांति तेरा आना

क्रांति तेरा आना क्रांति तेरा आना होगा सुफलम मंगलम
करता तेरा आह्वाहन ,जाग जाए पीड़ित जन मे
समानता-विकास की आस
मजदूरों की बस्ती में कर दे उजास
क्रांति उतर जा तू पिछड़े अपने गाँव ,
पिछडा गाँव अपना ,जहां धधकती भेद की आग ,
भूमिहीनता ,गरीबी का नहीं कटा अभिशाप
श्रमवीर निरापद के हिस्से क्यों अन्याय
क्रांति तेरा आना मंगलकारी होगा
श्रमवीरो की बस्ती में उजियारा होगा
क्रांति तेरा आह्वाहन  बदले युग में आ जा एक बार
भूमिहीनता गरीबी के खिलाफ कर जा ललकार
दबंगों को देखो जमीन के मालिक वहो
गाँव समाज की जमीन भूमिहीनों का हिस्सा पर
कब्ज़ा रखते वही
भूमिहीन श्रमवीर भर रहे सांस उखाड़े पाँव
गरीब सदियों से शोषित उपेक्षित ढो रहे घाव
ना भूमि आवंटन ना कोइ पुख्ता रोजगार
नसीब कैद उनकी लौटा दो लूटा अधिकार
भेद-भूमिहीनता का कट जाए अभिशाप
क्रांति तेरा आना होगा मंगलकारी
क्रांति तेरा आह्वाहन जगा जा ललकार
पहचान लो पथराई आँखों की आस
क्रांति उतर जा अपने गाँव एक बार ...............
डॉ नन्द लाल भारती 27 .05.2013

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