Sunday, October 14, 2012

श्रम बीज मरते नहीं ..............

श्रम बीज मरते नहीं 
सच लगाने लगा है
श्रम बीज मरते नहीं
हारते नहीं
पत्थरीली जमीं हो
या उपजाऊँ
चाहे पत्थर दिल आदमी
या नरम दिल  आदमी
श्रम का सच जीवित रहता है
हर दिल हर जमीन में
श्रम की महिमा का कोई
बखान करता है
कोइ रहता है मौन
उपजाऊँ या पत्थरीली जमींन की तरह
लेकिन श्रम बीज पराजित नहीं होता
होगा भी तो कब तक
एक दिन विजेता होगा
जनता है संघर्षो में जीवन है
संघर्षो से राह मिलेगी
संघर्षो से हक
बढ़ने का सांस भरने का
सच श्रम बीज हारते नहीं
जीतते है
और लौटते है
अथाह खुशियाँ लेकर .........नन्द लाल भारती ..15.10.2012

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