Saturday, September 1, 2012

बच जायेगा...

बच जायेगा
कौन किसका दुश्मन 
जाने जग सारा
मन में बैठा भेदभाव  
क्रोध-पद-मद-मोह
दुश्मन हमारा ..
दुश्मन दूसरा नहीं
बाहर नहीं दुश्मन कोई
दिल में खुद के खोजा
मिला हर दुश्मन वही
निकल गे दिल से यारो
दुश्मन अपने
मित लगेगा हर कोई.....
कौन जीता कौन हारा
हार-जीत की दुनिया में
आदमी धूल में मिल जाता
बोया जो सद्प्यार
वही वक्त के आरपार
याद रह जाता .....
चेहरा बदल कर
दीन वंचित की आँख में
धूल झोंकर लूटी तरक्की
क्या ख़ुशी देगी
हार का भय डंसता रहेगा
जीवन हो सफल न डँसे
भेदभाव   क्रोध-पद-मद-मोह से
उपजा गम
सद्भावना का बसंत बने हम ...........
संघर्ष ही जीवन है
भेदभाव   क्रोध-पद-मद-मोह में
जीवन क्या नारेअक बनाना
मन  में हो समता सहयोग सद्भावना
यही जीवन जीत का सार
चले मानव धर्म की राह प्यारे
बच जायेगा   कुसुमित नाम
वक्त के आरपार ....नन्द लाल भारती ०२.०९.२०१२

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