Monday, August 20, 2012

सोन चिरैया ....

सोन चिरैया
लूट रही उम्मीदें टूट रहे सपने
मर रही आत्मा की आवाज़
जातिपाति में बंटा बूढ़ा संसार
दुनिया को राह दिखने वाला
ढो रहा भ्रष्टाचार -अत्याचार .......
सत्य भयभीत यहाँ
आतंकित वंचित  इंसान
दुश्मन देश के बने
जातिवाद-भ्रष्टाचार
सुधार की ना  कोशिशे
पुरजोर
कुचलों को कुचलने की साजिशे
अग्नि पथ पर निकल पड़ो
नव नायकों
मिटाने को जातिवाद -भ्रष्टाचार .............
वक्त की नब्ज अब तो समझो
जाति भेद तज दो
भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र कर दो
राष्ट्र धर्म को सुर दो
बाकी है सम्भावाने
बूढ़े भारत
यानि
सोन चिरैया को नव-रंग दो .......नन्द लाल भारती ...२०.०८.२०१२

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