Sunday, May 20, 2012

हिसाब ....

हिसाब ....
कामयाबी में कोई
हीरे-मोटी की ईंटे तो नहीं
जुड़ सकी
गफलत -रंजिश-मलाल
शरंडो का अत्याचार
खला करेगा जीवन भर
उम्मीद है जीवन है तो
बसंत का झोका भी है
श्रम और पसीने से
विहसा कर्मपथ
हाशिये के आदमी
शोषित वंचित की पूँजी होती है
शोषित-उत्पीडित पद-दौलत की
मंजिले नहीं खड़ी कर पाता
योग्यता-समर्पण और त्याग के बाद भी
दोषी हाशिये का आदमी नहीं
दोषी तो वे है जो
आदमी को अछूत
और
दीन बनाये की ठान रखे है
मानता है ,जानता है ,पहचानता है
दोयम दर्जे का  आदमी
उसकी नाकामयाबी-बर्बादी
चेहरा बदलने वालो का
दिया दहकता दर्द है ..
सवाल और मांग कर-कर
थक चुका
श्रमेव जयते परेशान हो रहा है
तरक्की से दूर फेंका पड़ा है
हाशिये का आदमी 
यकीन और बाजुओ पर विश्वास है
शोषित आदमी को
बदलता हुआ आज
कल जरूर मांगेगा
चेहरा बदलने वालो से
कैद नसीब का हिसाब ...........नन्द लाल भारती २१.०५.२०१२

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