Friday, January 20, 2012

कल मैंने सुना था

कल मैंने सुना था
एक आदमी को कहते
मैं आदमी हूँ
अफ़सोस पहचान मेरी
आदमी नहीं
जाति-धर्म हो गया है
यह महाठगिनी
तुकडे-तुकडे बाँट चुकी है
आदमी और
खंडित हो चूका है
देश भी
आँख मसलते हुए
वह चिल्लाया
अरे अब तो चेतो
मानव और राष्ट्र धर्म के लिए
मैं निहाल हो गया सुन
अदने आदमी के विचार
आओ एक बार हम सभी
इस मसले पर क्यों ना
करे मन से विचार ....नन्द लाल भारती १२.०१.२०१२

No comments:

Post a Comment