Friday, August 13, 2010

काबिलियत

काबिलियत
काबिलियत पर,
ग्रहण लगा दोधारी ,
योग्यता पर छा
महामारी
फ़र्ज़ और भूख ने
कैदी बना रखा है ,
मुश्किलों के समर ने
राहे रोक रखा है
चनसिक्को की
बदौलत
उम्र बिक रही है
श्रम की बाज़ार में
तक़दीर छीन रही है
मायुसी के
बादल
उखाड़ने लगे है
पर.....
तार-तार अरमानो को
भारती
ताग-ताग कर रहा बसरनन्दलाल भारती ( मोबाइल -०९७५३०८१०६६) 4.०८.२०१०


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