Saturday, July 3, 2010

मर्यादा

मर्यादा
हुशन के सौदागरों ने
मर्यादाओ को
रौद रखा है ।
वे भी है
एक औरत की देन
विसार रखा है ।
बेपरदा ,बदमिजाजिया
करता सौदागर
दबा
क़र्ज़ तले
जिसके
सौदा करता
उसी का सौदागर । नन्दलाल भारती 02.०७.2010
०००००
नारी मुक्ति को खुला सलाम
चाहुओर तरक्की
यही है
पैगाम ।
नारी अस्मिता पर
आज खतरा
मदराया /madaraya है
आधुनिकता का
बिगड़ा रूप
निखर आया है।
तन के वस्त्र कम
होने लगे है
कही अर्ध्बदन
तो
कही तंग होने लगे है ।
मुक्ति का मतलब
अश्लीलता
क्यों हो रहा है
आधुनिकता व्यभिचार
क्यों
बन रहा है
अरे करो विचार
कैसी है
इ लाचारी
पश्चमी सभ्यता का
जाल
बेबसी नहीं
हमारी । नन्द लाल भारती ०२.०७.२०१०

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